अमर शौर्यगाथा
सन साठ हिजरी क़मरी है। कुछ ही दिन पहले अपने पिता मुआविया की मुत्यु के बाद यज़ीद विस्तृत सीमाओं वाले इस्लामी जगत की बागडोर पर क़ब्ज़ा जमा चुका है।
इस्लाम और सेक्स
और (देखो) बलात्कारी के पास भी न फटकना। क्योंकि बेशक वह बड़ी बेशर्मी का काम है और बहुत बुरा चलन है।
मातम और अज़ादारी क्यों
अनुवादकः मौलाना अबरार अली जाफरी मंचरी